मंगलवार, 20 नवंबर 2012

Mistake

मुझसे कई साड़ी भूल हुई है। लेकिन एक भूल जो मुझे अच्छी तरह याद है तब हुई जब में आठ साल का था। मैं और मेरा परिवार फ्रांस गए थे और यह मेरी पहली यात्रा भारत के बाहर थी। तो मुझे बहुत उक्सुकता थी। मैं और मेरा परिवार कई जगह घूमे। एक दिन मैं अपनी माँ के साथ बहुत बरे मॉल में गया। वहा बहुत भीड़ भडाका था। मैंने एसा मॉल कभी नहीं देखा था। हर जगह सामान था और लोग चीज़े खरीद रहे थे। मेरी माँ हैंडबैग और कपड़े देखना चाहती थी। जब भी मेरी माँ यह करती तो मैं बहुत पक जाता। इस बार भी यही हुआ। मैं अपनी मम्मी के साथ एक जगह से दूसरी जगह घूमते घूमते थक गया। मेरी मान कपड़े "फिटिंग रूम" में पेहेनने गयी। जाने से पहले उनोहने कहा की, "आरुष, यहाँ से हिलना नहीं, मैं दो मिनट में आती हूँ। मैं वहीं खड़ा रहा और चारों ओर देखने लगा। फिर मेरी आँख खिलोनेवाले अनुभाग पर पड़ी। मुझे लगा की मैं तुरंत वहां जाऊंगा और वापिस आ जाऊंगा। तो मैं गया और खिलोनो को देखने लगा। जब मैंने वापिस जाने की कोशिश कड़ी, मुझे एहसास हुआ की मैं अपना रास्ता खो गया हूँ। मैं इतने बड़े मॉल में खो गया था। 

मैं बहुत रोया। हर जगह मैंने अपनी माँ को खोजने की कोशिश की। आधा घंटा हो गया और मुझे मेरी माँ नहीं दिखी। अचानक से किसी का हाथ मेरे कन्दे पर पड़ा और जिन लोगो के साथ हम मॉल आये थे उन में से एक आदमी ने मुझे ढूंढ लिया। वह मेरी माँ के पास मुझे ले गए। मेरी माँ को बहुत चिंता हुई और उनकी शकल से यह नज़र आ रहा था। वह बहुत गुस्सा हुई लेकिन बहुत खुश भी। मैंने उस दिस यह सीखा की माँ की बात हमेशा सुन्नी चाहिए। 

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