गुरुवार, 8 नवंबर 2012

अगर मैं भारत जाऊं...



अगर मैं भारत जाऊं...

अब छह साल से मैं भारत गया । मेरी चाचाजी-चाचीजी की बेटी की शादी थी इसलिए एक माह मेरे सारे परिवार पंजाब रहें । तब मैं पंद्रेह साल ही का था और हमेशा मेरे माता-पिता मेरी देखभाल कर रहें थें । मुझे नहीं मालूम है कब मैं भारत जाऊँगा अगली बार लेखिन जब भी हो मुझे मज़ा होगा ।  शायद काम या छुट्टी के लिए मैं जल्दी भारत में होऊँ

अगर मैं भारत जाऊं मैं ज़रूर मेरे परिवार मिलूँ । मेरे नानाजी हरिद्वार में रहते हैं तो मैं वहाँ पहले गूमऊँ   मैं चाहता हूँ की मेरे नानाजी के साथ मैं हिंदी का अभ्यास करूं । एसा अभ्यास करने में संभव है कि लगता हो जैसे मैं देशी हिंदुस्तानी होऊँ । नानाजी आश्रम में रहते हैं तो मेरा फर्ज है किमैं हर रोज पूजा करता होऊँ ।

भारत में मैं हमेशा परिवार के साथ रहता हूँ तो इस बार अगर जाऊँ मेरा इरादा है कि अकेला गूमऊँ । मैं चाहता हूँ कि हर जगह देखूँ । मैं उत्तर ही गया हूँ तो मेरी इच्छा है कि
दक्षिण में भी यात्रा करूँ । शायद मैं कश्मीर की पहाड़, बंगलोर का शहर, और गोवा का समुद्र तट का आनंद लेऊँ ।
और शायद यात्रा
के बीच में एक अच्छी लड्खी मिलूँ । काश कि ऐसा जिंदगी हो ।

मेरी माताजी मुझे भाताता हैं कि अगर मैं भारत रहता होऊँ संभावित है कि मैं बहुत बीमार होऊँ । मेरी इच्छा है कि ऐसा
न हो । मुझे साफ़ पानी पीना और ताज़ा खाना खाना चाहिए ताकि भारत में बीमार न होऊँ

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