मेरे दूसरा साल के दौरान यूनिवर्सिटी में मुझसे बड़ी भूल हुई है . स्कूल का सेमेस्टर लगभग खत्म किया या और फाइनल परीक्षा का हफ्ता था . यह सेमेस्टर मैं बहुत मुश्किल कलासों में भरती की . इसके कारण मेरा फाइनल परीक्षा का हफ्ता बहुत बुरा था . हर रोज आठ बजे उटाकर मैं फिशबोल जाती थी और मेरे पढाई यहाँ बारह घूंटे लगते ये . मैंने यहाँ सब खाना खायी , मैं यहाँ झपकी ली , और एक रोज मैं यहाँ दांत को साफ की ! चार दिनों से मैं एक स्वेअ-त्पंत और एक स्वेट-शर्ट पहनी क्योकि वे मुझे बहुत सुखी लाये . मैं कभी नहीं यह अनुभव करने चाहती थी लेकिन मेरे कलास बहुत मुश्किल थे और मुझे पदने था .
यूँ ही एक हफ्ता जाता था . मैं तीन परीक्षे खत्म की और मेरे शिक्षक ने मैमुझे अच्छे अंक दे अत मै बहुत मन की शांति को महसूस कर रही थी . वह शुक्रवार पर मेरी अन्त का परीक्षा था और भर रात का गुरुवार मैं पदी . ग्यारह बजे पर परीक्षा था . मैं दस बजे उठायी और मैं बहुत तैयार को महसूस की . नहाकर शांत के साथ मैं नाश्ता खाई . दस मिनिट से पहले ग्यारह बजे मैं घर चला गई . अकस्मात मेरी फोन टनटनाया . फोन पर मेरी शिक्षक था ! वह पुछी "तुम कहाँ हो ? परीक्षा दस बजे शुरू की ! "
"नहीं!" मैंने चिंता और शोक के साथ चिल्लाई . मैं गलाने लगी . मैं ग्यारह बजे पहुंची और कमरे में सब छात्र ने परीक्षा चुपचाप पद रहे थे .
वह दिन मैं अपनी भूल से सीखी कि हमेशा मुझे दो बार सिलेबस में देखने पड़ती है !
यूँ ही एक हफ्ता जाता था . मैं तीन परीक्षे खत्म की और मेरे शिक्षक ने मैमुझे अच्छे अंक दे अत मै बहुत मन की शांति को महसूस कर रही थी . वह शुक्रवार पर मेरी अन्त का परीक्षा था और भर रात का गुरुवार मैं पदी . ग्यारह बजे पर परीक्षा था . मैं दस बजे उठायी और मैं बहुत तैयार को महसूस की . नहाकर शांत के साथ मैं नाश्ता खाई . दस मिनिट से पहले ग्यारह बजे मैं घर चला गई . अकस्मात मेरी फोन टनटनाया . फोन पर मेरी शिक्षक था ! वह पुछी "तुम कहाँ हो ? परीक्षा दस बजे शुरू की ! "
वह दिन मैं अपनी भूल से सीखी कि हमेशा मुझे दो बार सिलेबस में देखने पड़ती है !
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