अगर
मैं तीन साल पहले भारत चला गया होता तो मैं खुश हो था। मैं अपनी दादी से मिलता और उनका घर में रहता। हर दिन मैं अपने आप से पुचता "आज मैं क्या करून?" और
रोज़ मैं कोई नया चीज़े करता। शायद एक दिन मैंने स्कूटर चलाया हो। और एक
दिन शायद मैं अपने परिवार के साथ एक तेलुगु फिल्म देखा हो। (हम तेलुगु
फिल्म देखे क्योंकि मेरा परिवार भारत में सिर्फ तेलुगु बोलता) लेकिन मेरा
मनपसंद चीज़ भारत के बारे में मेरी दादी का खाना था। उसका डोसा या इडली सबसे
अच्छा था। वह उसका खाना कभी नहीं नीचे लग गईं। और जब मैं खाना खाया वह
बोली, " चलो, ख़त्म करे और मैं और खाना बनाऊंगी।" मुझे चाहिये कि हर भोजन
पर बोले, "रोकिये! रोकिये! अगर मैं और खाना खाऊँ तो मैं मोटा बनऊंगा।"
लेकिन
अब मेरा भारत का अनुभव बहुत अलग है। ढाई साल पहले मेरी दादी गुज़ारी। और
मुझे अब भारत में करने के लिए कुछ भी नहीं है। अगर मैं भारत अब जाऊं तो
मैं बहुत उदासी होगा।अब मुझे भारत जाना नहीं पसंद है। अब मैं कभी नहीं मज़े
करूँगा। शायद भारत के बारे में मैं सिर्फ बहुत बुरे चीज़े सोचूँ। मैं अपने
आप से सोचा, " जब मैं गया मच्छर मुझे बहुत काटें। एक बार मुझे बीस मच्छर
ने काटे। मैं डंक से नहीं बीमार हुआ लेकिन झुझालाहुत बहुत हुई। भारत में
बहुत गर्मी थी। जब भी मैं भारत जाऊं मुझे रोज़ पसीना आता है। इसलिए मुझे
भारत जाना नहीं पसंद है।" मेरी सिर्फ इच्छा है कि मैं एक और बार तीन साल पहले भारत जाऊं।
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