सोमवार, 19 नवंबर 2012

मेरी भूल- अर्श पटेल

मैंने हाई स्कूल में एक दिन बहुत बड़ी भूल की थी। इस भूल को याद करने से मुझे शर्म आती है क्यों की मैं ऐसा हर रोज़ नहीं करता। इस भूल मेरे हाई स्कूल के आखरी साल में हूई थी। उस वक़्त मुझ मालूम था की मैं कोलेज के लिए यूनिवेर्सिटी ऑफ़ मिशिगन आने वाला हूँ। ही स्कूल के आखरी हफ्ते में जब सरे क्लासों की परीक्षा चल रही थी तब मैंने मेरे दोस्त की मदत की थी। लेकिन वास्तव में यूह मदत नहीं, भूल थी। मेरी दोस्त केती ने हिस्ट्री की परीक्षा के लिए ज्यादा तयारी नहीं की थी क्यों की उसको एक ही दिन में तीन परीक्षा थी। तो उसने अपने गणीत और बैयोलोजी के लिए ज्यादा तयारी की और हिस्ट्री के लिए सिर्फ थोड़ी तयारी की। उसकी बैयोलोजी और गणीत की परीक्षा सुबह थी और हिस्ट्री की एग्जाम शाम को थी लंच के बाद। जब लंच का समय हूआ तो मैंने उसे एक टेबले पर दिखा। वुह रो रही थी। जब मैंने उसे रोते हुए देखा तो में तुरंत वहाँ जाकर पुछा " अरे  केती, क्या हूआ?" तब उसने मुझे बतायाँ के उसने हिस्ट्री एग्जाम के लिए ज्यादा तयारी नहीं की। तो मैंने उसकी मदत करने की कोशिश की लेकिन ज्यादा वक़्त नहीं था। लंच ख़तम ही होने वाला था और उसने मुझे पुछा "क्या मैं तुम्हारी परीक्षा की नक़ल कर सकती हूँ? मेरी भूल थी के मैंने हाँ की क्यों की मुझे उसको इस हालत में देख कर धुक हुआ था। क्लास में जाकर हम दोनों पीछे वाली खुशियाँ में बैठए और मैंने उसे मेरी परीक्षा की नक़ल करने दी। मेरे शिक्षक को इस बात की कभी भी पता नहीं चला लेकिन मुझे इस बात को लेकर अभी भी धुक होता है। ऐसा करना बिलकूल गलत है चाहे मेरे दोस्त को मदत की ज़रुरत हो या ना हो। मैं उस रात सो नहीं सका और सुबह जब मैंने मेरी माँ को बताया तो मुझे बहुत दन्त मिली। मेरी माँ ने मुझे कसम दी की मैं ऐसा फिर कभी भी न करून। मैंने इस गलती से सीखा है की दोस्तों की मदत करने में भी सीमा है। मैं एसा फिर कभी नहीं करूंगा।

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