रविवार, 4 नवंबर 2012

आगर मैं भारत जाऊं



मुझे भारत से बहुत प्यार है. आगर मैं भारत जाऊं तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी. पहेले मैं अपना परिवार जाऊं.  मेरी दादी वहा रहती है. वे बहुत आश्चर्यजनक हैं और मैं उनको बहुत याद करती हूँ. मेरे दादी और मामा और मामी संबलपुर में रहते हैं. उनका घर मेरा मन पसंद घर है. मेरी माँ बचपन में उस घर में रही. घर में एक खुली छत है और दृश्य बहुत सुंदर है. घर से सामने बहुत सुंदर मंदिर है. तो मैं दो हफ्ता के लिए अपने माँ के परिवार के साथ र्हेतू. फिर मैं अपने  पिता जी के परिवार को मिलने जाऊं. मेरे चाचा और चाची आगरा में रहते है. मैं ताज महल जाऊं और मेरे दोस्त के लिए स्मारिका खरीदूं. मैं भारत में नहीं गूम्थी हूँ तो मैं बहुत जगह पता लगायूं. मैं और मेरी सहेली भारत के चारों ओर जायं और हम बहुत चीज़ दखे. मेरा मन पसंद खाना भारथिये खाना है. खासकर रूप से सड़क विक्रेताओं से! यद्यपि मैं बहुत बीमार हो जाते हैं. 

मैं सोची कि मैं भी पूरी जाऊं. जब भी मैं भारत जाती हूँ तब मैं पूरी भी जाती हूँ। पूरी बहुत संदर है और वह समुद्र तट से है. मुझे भारत की याद आती है. मैं अपने परिवार और गंध और सब चीजों को याद करती हूँ. लेकिन बहुत दुख होता है जब गरीब लोग को देखती हूँ. यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मुझे याद दिलाता है कैसे मैं भाग्यशाली हूँ. मेरी आशा है कि मैं भारत में मदद कर सकूँ. मुझे गाव में काम करना चीहिये, खासकर उड़ीसा में. मैं भारत जाने के लिए इंतजार नहीं कर सकती!

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