मंगलवार, 20 नवंबर 2012

सुमेधा की गलती

पिचले साल मैंने एक दोस्त को मेरी अपार्टमेंट को बुलाया। मैंने उसको और मेरी पिचले साल की रूमेठ को वादा किया की मैं उनके लिए हिन्दुस्तानी खाना बनाउंगी।

मैं पालक पनीर बनाना चाहती हूँ तो मैंने बहुत कुछ पालक, पनीर, लहसुन, हल्दी, तेल, टमाटर, सावर क्रीम, अधरक, गरम मसाला, हरे मिर्च, जीरा, नींबू की रस, और धनिया को बाहर रख खर मैंने खाना बनाना शुरू की। पहले पालक को पानी में धो कर, मैंने उनकी डंडियाँ तोड़कर पानी में उबालना शुरू किया। पालक को पकाने में कुछ मिनट लगेगी तो मैंने टमाटर को छोटे-छोटे टुकडे किया और पनीर को थोड़ी बड़ा से टुकडे किया। फिर मैंने अधरक को भी छोटे-छोटे टुकडे करके  और पिसा। तेल को एक कडाही में डालकर तेल में जीरा को टालना शुरू किया। फिर मैंने हल्दी और हरे मिर्च भी दल्दिया। थोड़ी देर बाद, मैंने सारे और मसाले (गरम मसाला के सिवा) दल्दिया और सावर क्रीम भी जब तक मसाले पूरी तारे से मिला हुआ। उसके बाद मैंने पालक को पीसकर और पनीर के साथ कडाही में मिलाइए। कुछ मिनट के लिए सब कुछ पकाया और जब वह उबालन शुरू किया तो मैंने गरम  स्टोव से निकाल्दिया और फिर मैंने गरम मसाला और नींबू की रस भी मिलादिया। उन सब के ऊपर मैंने थोडा धनिया भी लादादिया। 
मुझे लगा की पालक पनीर तैयार थी तो मैंने मेरी दोस्त और मेरी रूमेट को बुलाई और रोटी के साथ खाना को सेवा की। दोनों बहुत खुश थे और बहुत सारा पालक पनीर अपने प्लेट पर लेकर खाने शुरू किया। 

पहले काटने खाने के बाद, उनको कुछ अजीब लगा। खाना अच्चा नहीं था। कुछ लापता था। मैंने खाने भी शुरू कोशिश की और पता लगा के मैंने नमक डालना भूल गयी। इस लिए खाना इतने नरम थे। मैंने गलती की तो मैंने सारे पालक पनीर को नमक डालकर मिलादिया। फिर जब हमने फिर से खाना खान शुरू किया, तो सब ठीख था और हमने पूरा भोजन को आनंद किया सिर्फ मेरु एक छोटी से गलती को मरम्मत करने के बाद, वर्ना कोई उससे खा नहीं सकते। 

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