मंगलवार, 9 अप्रैल 2013

भारत की निर्धनता - Loritta




निर्धनता भारत में एक बहूद समस्या है। एक तिहाई की दुनिया का गरीब भारत में रहने आकलन किया जाता है। २०१० को, विश्व बैंक ने आकलन किया कि लगभग अड़सठ प्रतिशत के हिंदुस्तानी के पास हर दिन जीवित रहने के लिए सिर्फ दो डॉलर एवं कम। निर्धनता के कारण, अनेक लोग कुपोषण से भुगते हैं। बयालीस प्रतिशत के भारतीय बच्चे वजन हैं। 

निर्धनते का अपराधी क्या हैं?  पहले कारण जाति व्यवस्था है। आजकल समाज इस व्यवस्था का गिरावट देखता है लेकिन कुछ क्षेत्र में अभी रहता है। जाति व्यवस्था के दलित सबसे नीचे है और उनके हैसियत के कारण, सिवाय रिशवत के होकर, वे सरकार से कुछ मदद, लाभ और सेवा  नही प्राप्त करने पाते है। 

दुसरे कारण राजनीति है। जब ब्रिटिश आदमी भारत आये, उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था औपनिवेशिक राज्य में बनाया। उन्होंने देश के प्राकृतिक संसाधन शोषण किये और इससे, अर्थव्यवस्था का उद्योग निर्बल किया। अब भारत स्वतंत्र है लेकिन बहुमत विकास की योजना राजनीतिक हित के लिए है। भ्रष्टाचार सामान्य है और इसलिए, नीति ने निर्धनता और समान समस्या को नही समाधान करने पाया। की 

तृतीय कारण, भारत का आबादी बहूत तेज से बढ़ता है, लगभग 1.4 प्रतिशत। भोजन का मांग  भी बढ़ता है और इसलिए, खाने की कीमत  भी बढ़ती है। फलस्वरूप, गरीब भोजन खरीद नही सकते है। 

चौथा कारण आर्थिक नीति है। व्यापार शुरू करने में नही आसान है क्योंकि प्रक्रिया किया जायेगा। प्रक्रिया नौकरशाही है, फिर भ्रष्टाचार एक भारी मामला है। अतएव, अगर गरीब जीवित रहने के लिए एक छोटा व्यापार शुरू करना चाहता है, प्रक्रिया बहूत जटिल है।  जाति व्यवस्था के साथ, यह अधिक मुश्किल होगा। 

 निर्धनता के कारण अधिक हैं। निर्धनता कम करने के लिए, शिक्षा के अवसर बढ़ सकता है और फिर औरत को अधिकार दे सकता है। इसी दरफ से, गरीब अपना जीवन बदलने के लिए, आत्मविश्वास और सत्ता है। 


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