बुधवार, 10 अप्रैल 2013

आधुनिक बीमारियाँ

आज-कल भारत को काफ़ी समस्याएँ होती हैं।  यद्यपि ग़रीबी होती है, भारत की मध्य श्रेणी बढ़ती रहती है।  इस के कारण, लोग नया और खूब खाना खाते हैं और कम कसरत करते हैं।  ज़्यादा बूढ़े लोग हैं जिसको नई बीमारियाँ होती हैं।  जैसी विकासित देशों की समस्याएँ हैं वैसी भारत में उठई हैं।  मधुमेह ऐसी बीमारी है जो ख़बर में धीरे-धीरे पता चला जाता है।

औद्योगीकरण से पहले, लोग अच्छे समय में ज़्यादा खाते थे क्योंकि ख़राब समय में खाना कम था।  मध्य श्रेणी के लोगों को आधुनिक समाज में हर रोज़ काफ़ी खाना मिलता तो वे और खाते हैं, लेकिन उनके शरीर और आदतें नहीं बदल गई हैं।  इसके अलावा, भारत की सरकार सारा खाना ख़रीदती है क्योंकि वह चाहती है कि अगर खेती ख़राब होती तो भुखसरी न हो।  सरकार जनता को सस्ता खाना बेचता है तो लोग जो पहले सिर्फ़ भात खाते थे गेहूँ भी खा सकते (और गेहूँ खानेवालों को भात मिलती है)।  मध्य श्रेणी खूब खाना ख़रीद सकती है, पर काफ़ी खाते-खाते लोग बीमार हो जाते हैं।  पुराने ज़माने में, मोटा होना धन का चिन्ह था परनतु आज सवस्थय का ख़तरा है।  ज़्यादा भात-गेहूँ खाने की वजह से मधुमेह समस्या हो गई है।

कहा कि भारत में ६ करोड़ से ज़्यादा लोगों को मधुमेह होता है, और १० लाख २०१२ में मधुमेह की वजह से मर गये।  सिर्फ़ चीन में ज़्यादा लोग मधुमेह से कष्ट उठाते हैं।  दिल के रोग एवं कुछ और बीमारियाँ मधुमेह के साथ आती हैं, मतलब, जो लोग मधुमेह के ख़तरे में हैं, वे इन और बीमारियों के ख़तरे में भी हैं।

सरकार और डाक्टर बोलते हैं कि लोगों को अपनी ज़िन्दगी की तरफ़ बदलनी पड़ती है।  कसरत कर और अच्छे खाना खा के, स्वास्थ्य बेहतर हो जाएगा, लेकिन आज-कल कम लोग ऐसे करते हैं।  काश कि भारतीय जवान न अस्वस्थ हो तो भारत में यह समस्या हराई जाएगी।

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