मंगलवार, 9 अप्रैल 2013

Equality for Women -- Ankita


अंकिता बधवार
9 अप्रैल, 2013
औरतों की समानता
      पिछले कुछ सालों में, औरतों को पुरुष प्रधान समाज में आवाज़ मिलनी शुरू हुई है. उनके अधिकार दिन प्रतिदिन बढ़ रहे हैं और उनको घर से बाहर काम करने का मौका मिल रहा है. दुनिया के हर देश में औरतों को ज्यादा इज्ज़त दी जा रही है, ख़ास तौर पर उन औरतों को जो घर की देख-भाल करने के साथ-साथ, बाहर नौकरी भी सफलता के साथ कर रही हैं. आज की नारी पुरुष के साथ-साथ ही नहीं चल रही, बल्कि उससे आगे भी निकल रही है. आज की समाज में औरतों को संगठनों और व्यापारों में पुरुष से ऊची प्रतिष्टा भी मिल रही हैं. लड़कियों को अब सिर्फ घर के काम नहीं करने पड़ते, बल्कि उनको पढाई करने का आर कॉलेज की शिक्षा लेने का मौका भी मिलता है. हालांकि औरतों को पहले से काफी समानता मिल चुकी है, उनको अभी भी पूरे अधिकार मिलने बाकि हैं.
भारत एक एसा देश है जहाँ औरतों को अपने हक़ के लिए बहुत लड़ना पड़ता है. बड़े शहरों में, औरतों ने काम करना शुरू कर दिया है और लडकियां अपनी पढाई ख़तम करके डिग्री भी लेती हैं लेकिन गाँवों और छोटे शहरों में, अभी भी लड़कियों और औरतों को समानता नहीं मिलती. खास कर गाँवों में, लड़कियों को पढने का मौका नहीं दिया जाता और, जब वे बड़ी हो जाती हैं, उनकी शादियाँ करवा दी जाती हैं. अक्सर, गाँवों में माँ-बाप लड़की की अनुमति के बिना उसकी शादी करवा देते हैं और उससे पुछा नहीं जाता कि रिश्ते के बारे में उसके विचार क्या हैं. जब लड़की की शादी हो जाती है, उसको अक्सर अपने ससुराल में भी हर अधिकार नहीं मिलता. बहुओं को सिर्फ घर के काम करने को मिलते हैं और उन्हें बाहर जाकर नौकरी करने का या शिक्षा लेने का मौका नहीं दिया जाता. ऐसी शादियों में, पति घर के बाहर काम करते हैं और पत्नियों को सिर्फ घर की सफाई, रसोई में काम, या बच्चों की देख-भाल करनी होती है. इस वजह से, अक्सर आदमी भूल जाते हैं कि उनकी पत्नियां घर में उतना ही काम करती हैं जितना वे खुद घर से बाहर करते हैं, और गृहिणी को नीचा दिखाया जाता है. बड़े शहरों में ऐसी समस्याएँ इतनी नहीं होतीं क्योंकि वहां लड़कियों को भारत के पुराने रीति-रिवाज और परंपरा से थोड़ी आज़ादी मिलती है और वे अपनी शिक्षा को आगे बढ़ा सकती हैं. इस तरह, पुरुष उनकी ज्यादा इज्ज़त करते हैं और उनको नीचा नहीं दिखाया जाता क्योंकि वे अनपढ़ नहीं होतीं.
मेरे ख्याल से, भारत में हर लड़की को बचपन से सिखाना चाहिए कि अपनी शिक्षा ख़तम करना और नौकरी करना हर लड़की का हक़ होता है और अगर उनको समाज से इज्ज़त और पुरुष के साथ समानता चाहिए, उनको अपने अधिकारों के लिए लड़ना होगा. अगर वे स्वयं अपने अधिकारों के लिए समाज से लड़ेंगी, उनको भविष्य में ज्यादा हक़ दिए जायेंगे और उनकी बेटियों को समाज से और पुरुष से ज्यादा इज्ज़त मिलेगी.

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