मंगलवार, 9 अप्रैल 2013

दासों के सलूक



भारत में बहुत परिवारों में दासे है। बहुत गरीब लोग हैं तो वे कोई काम लेते हैं। भारत में, मेरा माता और पिता जी का परिवारों के घरों में तिन या चार दासे हैं। जब मैं भारत को गयी मैं दासों के साथ बात करती हूँ। कभी कभी मैं हिंदी में बात करती हूँ और बे हँसते हैं। लेकिन मैं उनको सम्मान करती हूँ क्योंकि मैं सोचती कि वे लोग भी हैं। लेकिन कभी कभी मेरा परिवार यह भूलता  है। 

सात साल पहेले, मैं और मेरी माँ भारत को गयीं। हम मेरी मौसी के साथ रहे हैं। एक दिन मैंने एक दासी की बेटी के साथ खेल रहा था। यह लड़की बहुत क्यूट था और शायद एक या दो साल की है। मैंने  उसको पकड़ कर रहा था और मेरी मौसीने कहा कि, " इस बच्चे को नीचे रखौ!"

मैंने समझ नहीं था। मेरी मौसी यह क्यों कहती है? मेरी माँ को मैंने पूछा था। मेरी माँ ने कहा कि,  "भारत में कुछ लोग दासों को सम्मान नहीं करता।" मैं  बहुत पागल हो गयी। यह फिर (fair) नहीं था। दासे मनुष्य भी हैं। 

भारत में,  यह समस्या है। यह जाति व्यवस्था (caste system) बहुत नुकसान और कराब है। उन लोगो को बहुत पोटेंशियल (potential) है लेकिन अगर हम उन्हें अच्छी तरह से इलाज नहीं करते हैं तब दुनिया प्रतिभा खो रहा है। हम बच्चे को सिखाना चहिये और उनको बताओ कि वे बेकार नहीं हैं।  


मैं भारत को बहुत प्रेम करती हूँ लेकिन परफेक्ट (perfect) नहीं है। भारत में बहुत  समस्या हैं लेकिन अगर हम सभी लोग एक साथ काम करते तब हम एक अंतर कर सकते हैं। 

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