सोमवार, 22 अक्तूबर 2012

My happiest days


अंकिता बधवार
23 अक्टूबर 2012 
मेरे सबसे ख़ुशी भरे दिन
वैसे तो मैं अपनी ज़िन्दगी से बहुत खुश हूँ और मेरी ज़िन्दगी में कई ख़ुशी भरे दिन आये हैं. लेकिन, अगर मुझे चुनना पड़ेगा, तो मेरा सबसे ख़ुशी का दिन था जब मेरी बहन पैदा हुई थी. मेरी बहन मेरी सबसे अच्छी सहेली है. हम दोनों एक दुसरे के बहुत करीब हैं. जब वह पैदा हुई थी, तब मुझे बहुत ख़ुशी हुई थी. मुझे वह दिन अच्छे से याद तो नहीं है लेकिन मेरी माँ मुझे बताती है की मैं हमेशा अपनी बहन के पास ही रहेती थी. मेरी माँ मुझे बताया करती थी की मैं किसी और को उसके पास जाने नहीं देती थी और मैं रोज़ पूछती थी "क्या मैं अपनी बहन की देख-भाल कर सकती हूँ?" मेरी माँ मुझे उसकी बहुत देख-भाल तो नहीं करने देती थी क्योंकि मैं छोटी थी और वह बहुत नाज़ुक थी. लेकिन, फिर भी, मैं हमेशा उसके पास ही रहती थी और उसके साथ बहुत खेलती थी. एक दिन, मैं बहुत बिमार पड़ गयी और मुझे छोटी चेचक लग गयी. जब किसी को छोटी चेचक लगती है, वह किसी और के पास जा नहीं सकता, खास करके छोटे बच्चों के पास क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा अच्छी नहीं होती और उनके बिमार पड़ना उनके लिए खतरनाक हो सकता है. इस लिए, जब मैं एसे बिमार पड़ी, मेरी माँ मुझे अपनी बहन के सामने जाने नहीं देती थी और मुझे बहुत गुसा आता था क्योंकि मैं उसके साथ खेल नहीं पाती थी. मुझे अपने बहन के जन्म के बारे में बहुत कुछ तो याद नहीं लेकिन इतना याद है की जब वह पैदा हुई, मुझे बहुत ख़ुशी हुई थी क्योंकि मुझे एक साथी मिल गया था जिसके साथ मैं खेल सकूं.
इसके बाद, मेरा सबसे ख़ुशी भरा दिन था जब मैं अपने दो बहुत अच्छे दोस्तों से मिली. एक का नाम एमिली है जिसके साथ मैं एक अपार्टमेंट में रहती हूँ. दुसरे दोस्त का नाम पैट है. पैट हमारे साथ रहता तो नहीं है लेकिन, फिर भी, वह हमेशा हमारे अपार्टमेंट में ही होता है. हम तीनों दोस्त एक दूसरे के साथ बहुत मस्ती करते हैं. और मैं कभी नहीं भूलूंगी की हम कैसे मिले थे. जब हम यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन आये थे ओरिएंटेशन के लिए, हम तीनों बहुत डरे हुए थे क्योंकि हम यहाँ बिलकुल अकेले आये थे. हमारे आस पास जो लोग थे, वे अपने किसी जान पहचान के साथ आये थे यहाँ ओरिएंटेशन के लिए. लेकिन, जब हम सब टूर पर जाने लगे, मुझे एक लड़की दिखी. मैंने उसको कुछ नहीं बोला क्योंकि मैं बहुत परेशान थी. लेकिन, एमिली ने अपने आप को इन्त्रोदुस किया और वह मेरे साथ बात करने लग गयी. मुझे उस ही वक्त से एमिली बहुत अच्छी लगी और हम दोस्त बन गए. फिर, हम एक दूसरे के साथ रात का खाना खा रहे थे कैफेटेरिया में जब पैट हमारे साथ आके बैठ गया और उसने भी अपने आप को इन्त्रोदुस किया. ओरिएंटेशन के दूसरे दिन, जब रात आ गयी, हम Amer's Deli चले गये और वहां बैठ कर बहुत बातें की. जब जाने का वक्त आ गया, हमने एक दूसरे के साथ टेलीफोन नंबर विनिमय किये और ओरिएंटेशन के बाद, बाकी की गरमियों की छुट्टियों में एक दूसरे से बात की. जब हमारी कक्षाएं शुरू हुईं, हमारी दोस्ती और भी बड़ गयी.

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