सोमवार, 22 अक्तूबर 2012

Akul's Happiest Day

मेरी ज़िन्दगी का सबसे ख़ुशी का दिन था जब मुझे कॉलेज में स्वीकार होने का पत्र मिला था. उस दिन मुझे इस बात की कुशी थी की अब मुझे अपने भविष्य के बारे में अब कोई दर नहीं था. क्यूँ की अब मुह्जे अपने भविष्य के बारे में कोई दर नहीं था मैंने उस दिन कोई स्कूल का काम नहीं किया. में आराम से घर पर बैठा स्कूल के बाद और मैंने टीवी देखा. टीवी देखने के बाद में दोस्तों के साथ भार खेलने गया क्यों की मुझे काम करने का बिलकुल मन नहीं था. मैंने जी भर कर दोस्तों के साथ खेला तीन-चार घंटों के लिए. जब में घर वौपिस गया मैंने देखा कि मेरे लिए एक और कॉलेज में स्वीकार की चिठ्ठी आई हुई थी. ये देख कर मिझे और ख़ुशी हुई. जब मैंने यह अपने माता-पिता को दीखाया वो भी बहूत खुश हुए. एस बात खी ख़ुशी में वो मुझे भार लगये खाने के लिए. हम सुब मेरे मान-पसंद रेस्टोरेंट गए खाना खाने. एस के बाद घर आकर में पूरी रात नहीं सोया. क्यूँ कि ख़ुशी के मारे सूझे नींद नहीं आ रही थी. वक़्त गुज़ारने के लिया मैंने दोस्तों के साथ कंप्यूटर पर बातें कीं और दो-तीन फिल्में देखीं. यह दिन मारी ज़िन्दगी का सबसे ख़ुशी का दिन है क्यों कि इस दिन मैं दो कॉलेज में स्वीकार हो गया था.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें