सोमवार, 22 अक्तूबर 2012

मेरी ज़िन्दगी की सबसे खुशी थी दिन


मेरी ज़िन्दगी की सबसे खुशी थी दिन था जब मेरा भाई पैदा हुआ था उन्नीस छियानवे में. उसका जनम बीस फरवरी पे हुआ था. मैं सिर्फ चार साल की थी जब मेरा छोटा भाई का जनम हुआ. मैं काफी दीर से बोल रही थी के मैं एक छोटा सा भाई या बहन चाहता था. थो जब मुझे के भाई मिला, थो मुझे बहुत ही ख़ुशी हुई. मैं उसका छोटा सा नाक, चोटी सी आँखें, और छोटे छोटे उँगलियों को देखकर बहुत प्यार आई. 


मुझे लगा था के मेरे पास एक गुडिया मिली! मैं मेरा भाई आदित्य के साथ हर वक़्त खेल सकती हूँ और बहुत मज़ा आएगा. लेकिन मेरी सोच थोड़ी गलत थी. जब मेरी माँ और भाई घर आये पहली बार तो मैं बहुत ही जल्दी सीख गयी के एक बच्चा बहुत काम है. वह हर वक़्त रोता है या कुछ खाना चाहता है या सोता है. और इन सब के ऊपर वो बहुत ही छोटा और नाजुल था तो मैं तीख तरीकें से खेल नहीं पाती. 


एक चार साल की बच्ची के लिए, यह सब बहुत ही कष्टप्रद था. लेकिन जब मैं बड़ी हुई थो मुझे एहसास हुई के यह दिन मेरी ज़िन्दगी की सबसे ख़ुशी की दिन थी. अब मैं जानती हूँ के बच्चओं, बहुत काम होने के बावजूद, हर परिवार के जान और ख़ुशी की कारन होते है. मैं छोटी बच्ची होने में नहीं समझ सकती लेकिन अब मुझे समझ आई. मेरअ छोटा भाई का जनम होना मेरा सबसे ख़ुशी की दिन थी. 

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