शनिवार, 20 अक्तूबर 2012

मेरी ज़िन्दगी का सबसे खुशी का दिन

मेरी ज़िन्दगी में बहूत सरे खुशी के दिन हुए है। ऐसे कूच दिन थे जब में मेरे दोस्तों के साथ कनाडा घूमने गया था, जब में मेरे माता पिता और भाई के साथ भारत गया था, या जब में मेरी स्कूल के साथ यूरोप घूमने गया था। लेकिन इन सब से भी ज्यादा खुशी का दिन था जब में हिय स्कूल से ग्रद्यूअत हुआ था। यूह दिन ख़ास करके मेरी लिए खुशी का दिन था क्यूं की में मेरे क्लास का वालादिक्टोरीयाँ था। इस का मतलब हैं के मेरा जीपीए सब स्तूदुन्त से बढकर था। और मेरी एक बड़ी परीक्षा का स्कोर भी बहुत अच्छा था। मुझे इस कारन ग्रज्यूअशन वाले दिन पर एक बहुत बड़ा मैडल पहेने को मिला और मुझे एक बहुत अची खूरसी भी मिली बटने के लिए। लेकिन सब्सी अच्छी  बात थी के मुझे एक स्पीच भी देने  का मौका मिला। इस स्पीच के लिए मैंने काफी दिनों के लिए तयारी की। पहले मैंने सोचा के में क्या लिख सकता हूँ। लेकिन कूच देर सोचने के बाद ये लिखने में ज्यादा वक़्त नहीं लगा। लिखने के बाद मैंने काफी बार स्पीच देने का अभ्यास किया। मैंने इतनी बार अभ्यास किया के ग्रज्यूअशन के दिन मुझे मन से याद रहा था और कागज़ की ज़रुरत भी नहीं पड़ी। इतनी तयारी करने के बाद भी में थोडा परीशान तो था क्यों की बहुत सरे लोग मुझे ये स्पीच सुनेंगे। मेरा सारा परिवार भी आया था। मेरे माता-पिता, दादा-दादी, और विस्कॉन्सिन से ए हूएं चाचा-चची वहां पे थे। जब में स्पीच दे चूका था तब सब लोग जोर से तली बजराहे थे और बाद में काफी लोगों ने मुझे ये भी कहाँ के मैंने बहुत अच्छी स्पीच दी थी। में उस दिन बहुत खुश था और मैं उस दिन को कभी नहीं भूलोंगा। 


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