बुधवार, 26 सितंबर 2012

मेरी महत्वाकांक्षा यात्रा

बचपन से मैं हमेशा एक यात्रा में सोचा हूँ |  मैं जेरुसलेम से कश्मीर पैदल गुमना चाहता हूँ और रास्ते में सारे बीच में देशों देखूंगा |  इस्रैल और इंडिया के बीच में जोर्डन, इराक, इरान, अफ्घनिस्तान, और पाकिस्तान रहते हैं लेखिन में लेबनोन, सिरिया, और तुर्की भी गुमना चाहता हूँ |  रास्ता लगभग चार हज़ार किलोमीटर है और मैं सोचता हूँ की सारा यात्रा दो साल लगता |  


मैं यह यात्रा का निश्चय करता हूँ क्योंकि यह प्रदेश को अद्भुत ऐतिहासिक कहानी और सुन्दरो सिक़ाफ़त हैं और बहुत सारे पवित्र जहेग भी हैं |  आगर यह यात्रा हूआ तो इस दो साल में मैं साइटों देखता, अनेक भोजन खाता, और लोग मिलता |  मैं सुना हूँ की सारे दुनिया में पर्सिया और अघनिस्तान के लोग सबसे दयालु हैं |  और लेबनोन में सुबसे सुंदर महिलाओं हैं |  मेरी माताजी हमेशा मुझे कहती है की मुझे हिन्दुस्तानी पत्नी की कोज करनी चाहिए लेखिन अगर नही हो सकता है तो मुझे लेबनानी पत्नी होनी पुडती है |


कश्मीर
बचपन से ये यात्रा मेरी महत्वाकांक्षा हूई हैं लेखिन अब मुझे ज्यादा मुश्किल लगता है |  समस्या है की आजकल इस प्रदेश में इतना हिंसा है |  सुरक्षित ही नहीं है |  इस्रैल हमेशा युद्ध कर रहा है, सिरिया युद्ध कर रहा है, अभी पर्सिया को अमरीकी लोग पसंद नहीं हैं, इराक और अफ्घनिस्तान में अमरीका के सेना बिलकुल गड़बड़ किया, और पाकिस्तान को भारतीय लोग नहीं पसंद है |  इस लिए मुझे लगता है की यह यात्रा सरलता से और जल्दी से नहीं होगा | 

1 टिप्पणी:

  1. शायद मैं आपके ब्लॉग के इस पोस्ट को करीब एक साल बाद पढ़ रहा हूँ, लेकिन मुझे आपकी इन आकांक्षाओं को पढ़ के वाकई अच्छा लगा| मैं भी एकबार दुनिया की सिर पर जाना चाहता हूँ, और मुझे भी तुर्की जाने की बहुत अभिलाषा है| पर एक बात अब तक हजम नहीं हो रही, अफगानिस्तान और इरान के लोग दयालु हैं? आपने तालिबान के बारे में नहीं सुना? क्या आपने इरान के सक्त इस्लामी कट्टरपंथी कानून के बारे में नहीं सुना? मुझे यह समझ में नहीं आया आप किस हिसाब से इरान और अफगानों को दयालु कह रहे हैं| धन्यवाद!

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