मंगलवार, 25 सितंबर 2012

लाहौर - पाकिस्तान का ज़ेवर


मैं बचपन से लखनऊ और लाहौर जाना चाहता हूँ।  मैं २००७ में ख़ुद दिल्ली से लखनऊ गया।  (मुझे गाड़ी से बाईस घण्टे जाने में लगा, और हम यात्रियों को डर लगा जब दूसरे यात्री ने अपने झोले के बिना गाड़ी छोर दिया।  लेकिन कुछ नहीं हुआ।)  मैं बहुत घूमा और मुझे लखनऊ बहुत पसन्द था, और मैंने अपने आपको बोला कि लाहौर जाना था।

मुझे दोनों शहरों के इतिहास अमरीके शहरों से ज़्यादा दिलचस्प लगते हैं।  मैं सोचता हूँ कि जैसा लखनऊ है वैसा लाहौर है क्योंकि दोनों में उर्दु बोली जाती है, सामान खाना खाया है, उनके निर्माण मितले हैं, और दोनों मुग़ल साम्राज्य में महत्वपूर्ण शहर थे।  परनतु भारत कि तक़्सीम के बाद, लाहौर पाकिस्तान में बैठा है और उसका विकास अलग से हुआ है।

मुझे ठीक से नहीं मालूम है क्यों लखनऊ और लाहौर पसन्द हैं।  मेरे लाहौरवाले दोस्तों ने अपने शहर के बारे में सुनाया है और वे कभी-कभी मेरे लिये कपड़े और दूसरी चीज़ें लाये हैं।  लाहौर की कला और संस्कृति कराची की से ज़्यादा अच्छी लगती हैं, यद्यपि मेरे कराची के दोस्त बोलते कि कराची ज़्यादा मज़ेदार है।  आज-कल दोनों सलामत नहीं और इन में सावधान से होना पड़ता है।  लेकिन मैं गलियों में पैदलना और नए बाज़ारों मे देखना और छोटी-छोटी बात करना चाहता हूँ।

पुरानी दिल्ली और लखनऊ देख कर, मैं तीसरा मुग़ल का शहर की अनुभव करना चाहता हूँ।

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