मंगलवार, 12 फ़रवरी 2013

अर्श पटेल- महात्मा घंधी ब्लॉग पोस्ट

महात्मा घंधी एक बोहुत प्रसिद्ध हिन्दुस्तानी आदमी है। घंधी जी का जनम अक्टूबर 2, 1869 में हुआ था। उनके माता पिता का नाम पुतलीबाई और करमचंद गाँधी था। उनका जनम पोरबंदर गुजरात में हुआ था। घंधी जी ने पढ़ई लंडन में की थी क़ानून के बारे में। उनको भारत की आज़ादी के लिए ब्याज था। लेकिन जब उन्होने उनकी पढ़ई लंडन में ख़तम की तब वह साउथ अफ्रीका में रहने के लिए चले गए बीस वर्ष के लिए। वहां उनको जो भी भारत में हो रहा था बिलकूल पसंद नहीं था। उस वक़्त भारत में इंग्लैंड का राज चल रहा था। इंग्लैंड के आधिकरियाँ जो भारत में थे वोह हिन्दुस्तानी लोगों को अनुचित से व्यवहार कर रहे थे। जब वह साउथ अफ्रीका में रह रहे थे तब उन्होने सत्याह्रह की केम्पेन शुरू की। ईसका मतलब है की उनको आज़ादी भारत के लिए चाहिए थी लेकिन हिंसा का बिना। उस वक़्त महात्मा घंधी बोहुत प्रसिद्ध थे क्यों की उन्होने हिंसा के बिना और शान्ति से आज़ादी के लड़े। 1914 में घंधी जी भारत वापस आयें।वहाँ वह भारत नेशनल कांग्रेस के एक अधिकारी बने। भारत में उन्होने गरीब किसानो की भी मदत की करों के खिलाफ। घंधी जी ने महिलाओं के अधिकारों, गरीबों की मदत और भेदभाव के खिलाफ शान्ति के लिए लड़े। यह सब आचें काम करने के इलावा भी घंधी जी को जेल में दाल गया क्यों की कुछ लूगों को उनका काम पसंद नहीं था। लेकिन जब वह जेल से 1931 में निकले तब उन्होने लन्दन राउंड तेबे कांफ्रेंस में बात चित की और उसके बाद एक वर्ष में (1947) भारत आज़ाद हो गया। महात्मा घंधी ने उनके जीवन में बोहुत अच्छे काम किये थे।

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