बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

Guru Nanak dev ji


गुरु नानक देव जी

गुरु नानक देव जी सिखो के पहिले गुरु थे. उनका जन्म 15 अप्र्रैल 1469 मे हुआ. उनके पिता का नाम मेह्ता कालू और माता का नाम त्रिप्ता देवी था.उनकी एक बह्न थी, उनका नाम बेबे नानकी था. वह उनसे पाच साल उमर मे वडी थी. थी.जब उनके पिता ने उन्हे पद्ने के लिए भेजा तो उन्होने पंडित को ऐसे स्वाल किए, जिन्का पडित के पास जवाब नही था. 24 सतम्बर 1487, आपकी शादी माता सुल्खनी से हुई. उनके  दो पुत्र थे, लक्श्मी दास  और श्री चंद.

जब वह 14 साल का थे, उनके  पिता उनसे बहुत खुश नहीं थे और एक दिन उनहे 20 रुपये दिए एक लाभदायक सौदा करने के लिये .जब बाहर सौदा करने के लिये चले गये तो उन्होने रस्ते मे  गरीब लोगों को देखा है और वह उनके लिए उन 20 रुपए का भोजन खरीदा और उन्हे ख़वा दिया.वापस लौटने पर उनके  पिता उनसे सौदे के बारे में पूछा और उन्होने  कहा कि वह एक सच्चे सौदा करके अये है, तब आपके पिता जी बहुत नराज हुए.

गुरु नानक देव जी की शिक्षाए गुरु ग्रंथ साहिब में है जो के  गुरमुखी में दर्ज छंद का एक विशाल संग्रह के रूप में है.गुरु नानक देव जी ने लोगो को तीन महत्वपूर्ण संदेश दिए: नाम जपन, किरत करना और वंड छ्क्ना. उन्होंने दुनिया भर में पांच यात्रा किया और इन यात्राओं के दौरान लोगों को अच्छे कर्मों का एक बहुत कुछ सिखाआ. वह हर धर्म को समान रूप से व्यवहार करते थे और उन्होने महिलाओं को समान के  अधिकार दिलवाए.

12 सितम्बर 1539, उन्होने  इस दुनिया को छोड़ दिया और दिव्य आत्मा भग्वान मे जा मिली. और उनहोने भाई लेह्ना को गुरता गदी दे दी, जो सिखों के दूसरे गुरु गुरू अंगद देव जी के नाम से जाने जाते है.

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